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Ramayan Chaupai in hindi | रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित

Ramayan Chaupai in hindi | रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित

 

रामायण चौपाई:

रघुपति राघव राजा राम,

पतित पावन सीता राम।

एक बार रघुनाथ प्रभु,

तपस्विनी जनकपुरी गए।

यहां दोहे का वर्णन है:

  • “रघुपति राघव राजा राम” जो रघु के पुत्र हैं और सभी लोगों के राजा हैं। यह एक भगवान राम का नाम है।
  • “पतित पावन सीता राम” जो पापियों को उद्धार करते हैं और सीता राम का एक उपनाम हैं।
  • “एक दिन रघुनाथ प्रभु जनकपुरी के तपस्विनी महिला संत के यहां गए थे।”
Ramayan Chaupai in hindi | रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित
Ramayan Chaupai in hindi | रामायण चौपाई हिंदी अर्थ सहित

भये प्रभु श्रीराम चन्द्र,

सीतामया सुखदायक वंशज।

रविकुल शेखर शीतल जलधि पावन,

लक्ष्मीदास रघुनाथ पार लगावन।

इस चौपाई में बताया गया है कि:

“भये प्रभु श्रीराम चन्द्र” – जो भय को दूर करने वाले प्रभु श्री राम चन्द्र हैं।

“सीतामया सुखदायक वंशज।” – जो सीता माता के पुत्र हैं और सुख देने वाले हैं।

“रविकुल शेखर शीतल जलधि पावन” – जो रविवर के समान तेजस्वी हैं, शीतल जल में निवास करते हैं और निर्मल हैं।

“लक्ष्मीदास रघुनाथ पार लगावन” – जो लक्ष्मी जी के स्वामी हैं, रघुनाथ जी हैं और पार कराने में समर्थ हैं।

तेहि के करज सकल शुभ,

सिद्ध के चमत्कार सुनिश्चल दृढ़।

रामदूत अतुलित बलधामा,

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।

तेहि के करज सकल शुभ” इसका अर्थ है कि जो कार्य उनके होते हैं, उनसे सभी शुभ फल मिलते हैं।

“सिद्ध के चमत्कार सुनिश्चल दृढ़।” इसका मतलब है कि वे सिद्धियों के चमत्कार को स्थिर और दृढ़ बनाते हैं जो सदैव सुरक्षित रहते हैं।

“रामदूत अतुलित बलधामा” इसका अर्थ है कि वे रामचंद्र के दूत हैं और उनकी शक्ति अतुलनीय है।

“अंजनि पुत्र पवनसुत नामा।” इसका मतलब है कि वे अंजना देवी के पुत्र हैं और पवनपुत्र हनुमान के नाम से पुकारे जाते हैं।

महावीर विक्रम भजरंगी,

कुमति निवार सुमति के संगी।

कंचन बरन बिराज सुवेशा,

कानन कुंडल कुञ्चित केशा।

महावीर विक्रम भजरंगी” – जो महावीर हैं और भजरंगी हैं, अर्थात जिनकी शक्ति असीम है।

“कुमति निवार सुमति के संगी।” – जो कुमति को दूर करते हैं और सुमति के संगी हैं।

“कंचन बरन बिराज सुवेशा” – जो सुंदर और कंचन वर्ण के हैं, जिनकी शोभा अति अद्भुत है।

“कानन कुंडल कुञ्चित केशा।” – जो कानन कुंडल धारण करते हैं और कुंचित केशों वाले हैं।

 

हाथ बज्र औ ध्वजा विराजै,

काँधे मूँज जनेऊ साजै।

शंकर सुवन केसरी नंदन,

तेज प्रताप महा जग बंदन।

यह दोहा हनुमान जी के बारे में है।

हाथ बज्र और ध्वजा से सजा हुआ होता है, कंधों पर मूँज और जनेऊ लटकते हुए होते हैं। वे शंकर जी के पुत्र और केसरी नंदन हैं, जिनकी तेज प्रताप जगत को वंदन करता है।

विद्यावान गुनी अति चातुर,

राम काज करिबे को आतुर।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया,

राम लखन सीता मन बसिया।

विद्यावान, गुणी और बहुत ही चतुर,

राम के काम को बड़ी उत्सुकता से करते हैं।

उन्होंने प्रभु के चरित्र को सुना है, जो रसिकों के मन को मोह लेता है,

राम, लक्ष्मण और सीता के मन में बसते हैं।

सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा,

विकट रूप धरि लँक जरावा।

भीम रूप धरि असुर संहारे,

रामचंद्र के काज संवारे।

यह दोहा भगवान राम के लीलाविलास को वर्णित करता है। इसमें बताया गया है कि भगवान राम ने सीता के साथ सूक्ष्म रूप धारण करके उन्हें दिखाया था, जबकि रावण को धिक्कारते हुए वे लंका को भयंकर रूप धारण करके जलाया था। इसके अलावा, भगवान राम ने भीम रूप धारण करके असुरों का संहार किया था और अपने कार्यों को संवारा था।

लाय संजीवन लखन जियाये,

श्री रघुवीर हरषि उर लाये।

लाय संजीवन लखन जियाये, श्री रघुवीर हरषि उर लाये।” का अर्थ है कि “संजीवन वनस्पति लाकर लक्ष्मण को जीवित कर दिया गया और श्री रघुवीर (भगवान राम) के हृदय में आनंद भर दिया गया।” यह दोहा रामायण में एक घटना को दर्शाता है जब लक्ष्मण युद्ध में घायल हो जाता है और उसे बचाने के लिए संजीवनी वनस्पति की आवश्यकता होती है।

हनुमान उसे हिमालय से लाकर देता है और समय पर उसका आगमन होने से लक्ष्मण बच जाता है। यह दोहा भगवान राम और उनके अनुयायियों के द्वारा लक्ष्मण के स्वस्थ होने पर उनके हृदय में अनुभव किए गए आराधना और आनंद को व्यक्त करता है।

Ramayan Chaupai in hindi

रामायण चौपाई हिंदी में:

मनुज जनम दुर्लभ कर्म न भजत दुर्लभम्।

मोह माया मोहित जन पावन अवगुण सब कहत दुर्लभम्॥

 

तुलसी मनस जप माला जुग सहस्त्र जोजन पर भारी।

लीनते तत्व परम पद नरहरि तुम्ह जानत नहीं हारी॥

 

रामदुत अतुलित बल धामा।

अंजनि पुत्र पवनसुत नामा॥

 

महावीर विक्रम बजरंगी।

कुमति निवार सुमति के संगी॥

 

कञ्जनी कुंडल कुछ और छाला।

उपवीत कुंडल ली व्याला॥

 

विराजत अंग गदा संग कुशल छवि निज महिमा जग जानु॥

 

विनय करत जोध्याकाश की।

तुम्ह बिनु पौंग परम पद पायी के॥

 

तुम्हरे भजन राम को पावै।

जनम जनम के दुख बिसरावै॥

 

अंत काल रघुबर पुर जाई।

जहाँ जन्म हरिभक्त कहाई॥

 

और शोक नहीं कोई ताहि।

जन्म अमर गुरु भक्त हनुमान महाप्रभु जो दाहि॥

Ramayan Chaupai in hindi

Ramayan Chaupai is a set of four-line verses, or couplets, that are derived from the epic Hindu scripture, the Ramayana. These verses are written in the poetic meter called chaupai, which consists of four lines per stanza. The Ramayan Chaupai is commonly recited as a prayer or hymn in Hinduism, with the belief that it brings peace, prosperity, and blessings to the person reciting it.

The Ramayan Chaupai contains various teachings and stories from the Ramayana, such as Lord Rama’s birth and childhood, his exile from the kingdom, his victory over the demon king Ravana, and his return to Ayodhya with his wife Sita and brother Lakshmana. The verses also depict the divine qualities and greatness of Lord Rama and his devoted follower, Hanuman.

Reciting the Ramayan Chaupai is considered a form of worship and devotion to Lord Rama, and it is believed to provide spiritual benefits to the reciter. Many individuals recite the Ramayan Chaupai daily or during special occasions such as religious ceremonies and festivals.

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