Ganesh Chaturthi 2024
Ganesh Chaturthi 2024: वर्ष 2022 और 2023 में गणेश चतुर्थी कब है? जानिए सही दिन तारीख क्या है? पूजा करने का शुभ मुहूर्त कब है? चतुर्थी तिथि कब शुरू होगी? कब समाप्त होगी? इन सभी विषयों को अच्छी तरह से जानना जरूरी है. क्योंकि गणेश चतुर्थी के सही समय, दिन आदि विषय त्रुटि होगी तो गणेश जी संतुष्ट नहीं होते है. इसलिए गणेश चतुर्थी के दिन व तारीख पूजा शुभ मुहूर्त के बारे में जानने के लिए इस पोस्ट के अंत तक पढ़े.
गणेश चतुर्थी हर वर्ष भाद्रपद महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है. भगवान गणेश जी को समर्पित गणेश चतुर्थी का त्योहार बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है. 10 दिन तक चलने वाले इस महोत्सव में शिव पुत्र गणेश जी की पूरे विधान से पूजा की जाती है.
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Ganesh Chaturthi 2024
- साल 2022 में गणेश चतुर्थी 31 अगस्त बुधवार को पर रही है.
- गणेश चतुर्थी तिथि शुरू हो रही है- 30 अगस्त 2022 को दोपहर 03:30 मिनट पर.
- चतुर्थ तिथि समाप्त हो रही है- 31 अगस्त 2022 को दोपहर 03:20 मिनट पर.
- गणेश पूजन के लिए मध्यान्ह का समय- सुबह 11:04 मिनट से लेकर दोपहर की 01:37 मिनट तक रहेगा.
Ganesh Chaturthi 2024
- वर्ष 2023 में गणेश चतुर्थी 19 सितंबर दिन मंगलवार को मनाई जाएगी.
- गणेश पूजन के लिए मध्यान्ह का शुभ मुहूर्त- सुबह 11:01 मिनट से लेकर दोपहर 01:28 मिनट तक रहेगा.
- चतुर्थी तिथि प्रारंभ होगी- 18 सितंबर 2023 को दोपहर 12:39 मिनट पर.
- गणेश चतुर्थी समाप्त होगी- 19 सितंबर 2023 को दोपहर 01:43 मिनट पर.
क्यों मनाई जाती है गणेश चतुर्थी
हिंदू धर्म में कई देवी देवता है भगवान श्री गणेश उनमें बहुत ही माने जाते हैं. श्री गणेश जी की कहानियां और उनके विषय में बच्चे जानना बहुत पसंद करते हैं. श्री गणेश भगवान का रूप देखते ही बच्चे खुश हो जाते हैं. शिवजी और माता पार्वती के पहले पुत्र है भगवान श्री गणेश . यह हिंदू सभ्यता के अनुसार सबसे प्रथम भगवान के नाम से पूजे जाते हैं. एक बार की बात है सभी देवी देवता बहुत ही मुश्किल में थे.
Ganesh Chaturthi 2024
सभी देवगन शिव जी के शरण में गए और अपनी मुश्किलों को हल करने की प्रार्थना की उस समय भगवान शिव जी के साथ गणेश और कार्तिकेय भी बैठे थे. देवताओं के मुश्किलों को देखकर शिवजी ने गणेश और कार्तिकेय से प्रश्न पूछा! तुम में से कौन देवताओं के मुश्किलों को हल करेगा और उनकी मदद करेगा जब दोनों भाई मदद के लिए तैयार हो गए तो शिव जी ने उनके सामने एक प्रतियोगिता रखी. इस प्रतियोगिता के अनुसार दोनों भाइयों में से जो सबसे पहले पृथ्वी की परिक्रमा करके लौटेगा वही देवताओं की मुश्किलों को हल करेगा.
उनकी मदद करेगा. जैसे ही शिव जी ने यह बात कही कार्तिकेय अपनी सवारी मयूर पर बैठकर पृथ्वी की परिक्रमा के लिए चल पड़े. परंतु गणेश जी वही आपने जगह पर खड़ा रहे. और सोचने लगे कि वह मूषक की मदद से पूरे पृथ्वि का चक्कर कैसे लगा सकते हैं? उस समय उनके मन में एक उपाय आया. वे अपने पिता शिव जी और माता पार्वती के गए पास और परिक्रमा करके अपने जगह आकर खड़ा हो गए. कुछ समय बाद कार्तिकेय पृथ्वी का पूरा चक्कर लगाकर वापस पहुंचे और स्वयं को विजेता कहने लगे.
तभी शिव जी ने गणेश जी के और देखा और उनसे प्रश्न किया. क्यों गणेश? तुम पृथ्वी के परिक्रमा करने नहीं गए. तभी गणेश जी ने उत्तर दिया माता-पिता में ही पूरा संसार बसा है. चाहे मैं पृथ्वी की परिक्रमा करो परिक्रमा करू या अपने माता-पिता की यह एक ही बात है.
यह सुनकर शिव जी बहुत खुश हो गए और उन्होंने गणेश जी को सभी देवी देवताओं के मुश्किलों को दूर करने की आज्ञा दी. साथ ही शिव जी ने गणेश जी को यह भी आशीर्वाद दिया के कृष्ण पक्ष के चतुर्थी में जो भी व्यक्ति तुम्हारे पूजा और व्रत करेगा उसकी सभी दुख दूर होंगे और भौतिक सुख की प्राप्ति होगी. इसलिए हम बड़ी धूमधाम से गणेश चतुर्थी को मनाते हैं.
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